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मन के हारे हार है , मन के जीते जीत !!

by सागर शाह - 09/06/2017

मन के हारे हार है मन के जीते जीत , यह बात आपने मैंने बचपन में कई बार सुनी है , एक खिलाड़ी के जीवन में इस से जुड़ी परस्थिति का सामना हमें लगभग रोज ही करना होता है , तो जब आपका मैच किसी बड़े खिलाड़ी से पड़ता है तो आप क्या सोचते है ,तो आप क्या करते है यह बात मैच के परिणाम के लिए कितने मायने रखती है ? क्या खुद को कमजोर समझने वाला ,सामने वाले को ताकतवर समझने वाले के बीच मैच खेलने की जरूरत भी रह जाती है ? क्या वह मैच एक औपचारिकता नहीं लगने लगता ,जैसे मन पहले ही कह देता है यह मैच तो हारना ही था ,क्या यह रवैया हमें वाकई एक खिलाड़ी होने के असली फायदे देता है , पढे सागर शाह को यह लेख जिसमें एक खिलाड़ी सामने वाले से पहले खुद से जीतने का कारनामा करता है .. वाकई प्रेरक 

बात 2009 की है । सुबह के 6 बज रहे थे और मेरी नींद खुल चुकी थी ,दरअसल मैं अपने गृहनगर मुंबई में मेयर कप इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेल रहा था ,

वैसे तो मेरा मैच सुबह 10 बजे था पर मैं चाह कर भी और सो नहीं पा रहा था । 

कारण : मेरा तीसरे राउंड का मैच बहुत ही बड़े और मजबूत रूसी ग्रांड मास्टर व्लादिमीर बेलोव (2628) से था । पिछले दिन मैच के लिए तैयारी करते वक्त मैंने देखा था की उसने शायद ही अपने से कम रेटिंग के खिलाड़ी से कोई मैच हारा था ,हो भी क्यूँ ना अगर आपकी रेटिंग  2628 है तो आपके प्रदर्शन में स्थिरता तो होगी ही । और चूकी मेरी रेटिंग 2268 थी मैं पहले ही मानसिक तौर पर उसे हराने की उम्मीद छोड़ चुका था । और जब मुझे पता लगा की वह महान रूसी खिलाड़ी अलेक्ज़ेंडर ग्रीसचुक का सहायक है ,ताबूत में आखिरी कील ठुक चुकी थी । 

मैं सोचने लगा - आखिर कैसे मैं एक साधारण सा खिलाड़ी रूसी शतरंज स्कूल के विद्यार्थी को चुनौती दे सकता हूँ ?सबसे महत्वपूर्ण बात आखिर मेरे अंदर ऐसे कौन से गुण लेकर आऊँ जिससे में उससे बेहतर हो जाऊ ? निश्चित तौर पर उसकी ओपनिंग की जानकारी मुझसे ज्यादा ही होगी क्यूंकी वह अलेक्ज़ेंडर ग्रीसचुक का सहायक है । उसे मिडिल गेम के भी मुझसे ज्यादा पोजिसन और पेटर्न देखे होंगे ,और शायद रूस का एक 12 साल का बच्चा भी मुझसे बेहतर एंडगेम खेलेगा । 

घर से निकलते वक्त ही मैं मन ही मन पहले से हार मान चुका था ,ये निश्चित तौर पर डेविड और गोलीयथ का मुक़ाबला था !

( *डेविड और गोलीयथ -पश्चिम देशो में बाइबल में एक किवंदती (कहानी ) जिसमें महान योद्धा गोलीयथ को युवा डेविड पराजित कर देता है )

 

 

मैं टूर्नामेंट हाल में जाने के लिए रेल्वे स्टेशन पहुँच चुका था और जब मैं प्लेटफॉर्म में जाने वाले पुल पर ही था मैंने देखा की ट्रेन प्लेटफॉर्म पर पहुँच ही गयी थी ,मैं ट्रेन पकड़ने की हड़बड़ी में था ,मेरी नजर मैंने सबसे पहले आने बाले बोगी पर लगा रखी थी 

"अगर मैंने यह ट्रेन नहीं पकड़ी तो मैं मैच के लिए समय पर नहीं पहुँच पाऊँगा ,बेलोव के खिलाफ 10 मिनट देरी होना मतलब घाव पर नमक छिड़कने जैसा होगा " ऐसे कई ख्याल मेरे दिमाग में आने लगे ,मैं ट्रेन की तरफ लपका 

धड़ाम ! रास्ते में एक पत्थर था जिसे मैंने नहीं देखा और मैं उससे टकरा कर गिर गया ,मैं बहुत बुरी तरह नहीं गिरा और मैं खुद को तुरंत ही सम्हालते हुए खड़ा हो गया पर ट्रेन के चले जाने के लिए इतना समय काफी था मेरे पास अगली ट्रेन का इंतजार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था ,खैर अब जब मैं इंतजार कर रहा था ,मेरे साथ जो वाकया हुआ मैं उस बारे में सोचने लगा 

 

 जब मै ट्रेन को पकड़ने की कोशिश कर रहा था वहाँ पर दो घटनाए एक साथ हो रही थी ,

ट्रेन का स्टेशन पर आना और मेरा ट्रेन को पकड़ने की कोशिश करना ,निश्चित तौर पर मैं ट्रेन कैसे स्टेशन पर किस गति से आएगी कितना देर रुकेगी इस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था पर मेरा अपने शरीर पर पूरा नियंत्रण था , मेरा अपने पैरो पर पूरा नियंत्रण था ,और मेरा ध्यान होना चाहिए था की कैसे मैं अपनी गति बढ़ा सकता हूँ  ,और कैसे में रास्ते में आने वाली चीजों का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ सकता हूँ पर मैं कर क्या रहा था -मैं ट्रेन को देख रहा था और मैं उम्मीद कर रहा था की किसी तरह मैं ट्रेन को पकड़ने में कामयाब हो जाऊंगा । 

ऐसे में जब मेरा दिमाग लगातार नकारात्मक विचार उत्पन्न कर रहा था, एक सकारात्मक विचार मेरे मन में आया ,और कैसे मैं अपने हाथ में क्या है ,इस पर विचार करने लगा । जब तक मैं टूर्नामेंट हॉल में पहुंचा, मैंने एक महत्वपूर्ण अवधारणा तैयार की थी:

जब ज़िंदगी में दो घटनाए एक साथ हो रही हो  :

1. एक जिस पर हमारा नियंत्रण हो 

2. दूसरी जो हमारे नियंत्रण से बाहर हो 

ऐसी स्थिति में जरूरी होता है की हम जो बाते हमारे नियंत्रण में ना हो उन पर पूरी तरह से ध्यान लगाना बंद कर दे बजाए उन पर अपना समय देने के हमें उन बातो पर ध्यान और ऊर्जा लगाना चाहिए जो की हमारे बस में हो , क्यूंकी ऐसा करने पर अगर हम असफल भी होते है तो हमें दुख नहीं होगा क्यूंकी आप इससे ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते थे , यह उन बातो पर अपना समय और ऊर्जा व्यर्थ करने से तो बेहतर ही है जो हमारे बस में नहीं है ( जैसे ट्रेन )

 तो सीखने वाली बात यह है की : अपने दिमाग को कुछ इस तरह से प्रशिक्षित करे की आप हमेशा अपना 100% उन कामो में लगाए जो आपके बस में हो ,अगर आप ऐसा करते है तो कभी भी आपको दुख नहीं होगा की आपने पूरा प्रयास नहीं किया । 

 


उपसंहार:

तो मेरा मैच रूस के अनुभवी ग्रांड मास्टर व्लादिमीर बेलोव से था , मैं कुछ मिनट देर से टूर्नामेंट हाल पहुँच गया पर मैं अब शांत था ,मेरा दिमाग "मै क्या कर सकता हूँ "इस पर था की मुझे अपनी बेहतरीन चाले चलनी है ,मतलब मैं अब इस बात की परवाह नहीं कर रहा था की सामने कौन खेल रहा है । 

 
हमने एक बढ़िया मैच खेला और आपको यकीन हो या ना हो ,चार घंटे बाद मैं  मैच को जीतने में सफल रहा 

और उस दिन से डेविड बड़ा हो गया साथ ही उसका आत्मविश्वास और खुद पर भरोसा भी !

 बेलोव  - सागर 

[Event "2nd mumbai mayors cup"]
[Site "Hewlett-Packard"]
[Date "2009.05.03"]
[Round "3"]
[White "Vladmir, Belov"]
[Black "Sagar, Shah"]
[Result "0-1"]
[ECO "E12"]
[WhiteElo "2623"]
[BlackElo "2271"]
[Annotator "Sagar Shah"]
[PlyCount "82"]
[SourceDate "2009.03.06"]
{This game is an example of how not to get intimidated by a really strong
opposition and at the same time how we should always try to improve our
position bit by bit and when all the small advantages unite we get a big
advantage.} 1. d4 Nf6 2. Nf3 e6 3. c4 b6 4. Nc3 Bb7 5. a3 d5 6. cxd5 Nxd5 7. e3
{This has been proved to be quite a toothless line after black replies g6 but
that is where my knowledge ended.} g6 8. Bb5+ c6 9. Bd3 Bg7 10. O-O O-O 11.
Nxd5 $6 exd5 {If he wanted to take on d5 then he should have played Bd3
directly, without Bb5+. Why to give a check and force me to play c6 when that
is the move I have to make anyway. !} 12. b4 a5 $1 13. Bb2 Nd7 14. Qc2 Qe7 15.
Bc3 axb4 16. axb4 Rfc8 17. Qb2 Qf8 18. Nd2 Rxa1 19. Rxa1 Ra8 20. Rc1 $6 {
Surrendering the a-file to me. Here i was very much tempted with the idea to
go f5-f4 but later decided it would be too exposing and just simply doubled on
the a-file.} Ra4 21. Bc2 Ra7 22. Bb1 Qa8 23. h3 Ba6 $1 {Improving my bishop.
Throughout the game I have tried to improve my pieces and it finally led to a
big advantage.} 24. Bc2 Bb5 25. e4 Nf6 $1 26. e5 Nh5 27. g3 Bh6 28. Re1 Ra2 29.
Qb1 Qa3 30. Nb3 {Now Ng7 followed by Ne6 would have given me a nice position
where he would have no counterplay, but I went in for Bc4 not seeing my
opponent's excellent counter stroke.} Bc4 31. e6 $1 Ng7 (31... fxe6 32. Bxg6
hxg6 (32... Qxb3 33. Bxh7+) 33. Qxg6+ Ng7 34. Rxe6 Qa8 35. Qxh6 Bxb3 36. Rxc6 {
And the position is unclear.}) 32. e7 Ne8 33. Bd2 $2 (33. Bd1 {And White
should have a small advantage, but I think my opponent touched the wrong B.})
33... Bxb3 34. Bxg6 hxg6 (34... Bxd2 {Would have won even more quickly.}) 35.
Bxh6 Bc2 36. Qc1 Qxc1 37. Bxc1 Bd3 38. Be3 f6 39. g4 Rb2 40. Kg2 Rb1 41. Bc1
Kf7 {and he resigned. My first win against 2600+ GM.} 0-1

सागर शाह 

इस लेख को अनुवादित करने के पहले पहले मैंने कई बार पढ़ा और एक बात जो मैं सीख सका वह था सागर शाह की एक छोटी सी घटना से ले गयी सीख उसे जीवन मैं एक ऐसा सबक दे गयी जो सिर्फ सागर के लिए ही नहीं हम सभी के लिए एक बड़ा सबक है , निश्चित तौर पर हम सिर्फ ऐसा सोच कर किसी ग्रांड मास्टर को नहीं हरा सकते और सागर के अंदर वो काबलियत पहले से थी वह काफी मेहनत करते थे बस कमी थी की उनका ध्यान खुद की काबलियत पर नहीं था ,दरअसल जब हम अपने आप का सही इस्तेमाल ना कर पाये ,क्षमता होते हुए भी प्रदर्शन ना कर पाये दुख तब होता है और सागर का यह लेख वाकई आपको खुद को पहचानने मैं मदद करता है ,वाकई प्रेरक 

 

निकलेश जैन 

आप सागर का यह मूल लेख अँग्रेजी में भी पढ़ने के लिए - क्लिक करे 


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