भारत के गुकेश बने 18वें विश्व शतरंज चैम्पियन
भारत के डी गुकेश को 18वें विश्व शतरंज चैम्पियन बने हुए अभी करीब 22 घंटे बीत चुके है पर हर भारतीय शतरंज प्रेमी के अंदर उनका विश्व चैम्पियन बनने का लम्हा हर क्षण गूंज रहा है । गुकेश नें आखिरी क्लासिकल मुक़ाबले में चीन के डिंग लीरेन को पराजित करते हुए इतिहास के सबसे युवा विश्व चैम्पियन बनने का गौरव अपने नाम कर लिया । उन्होने सबसे युवा विश्व चैम्पियन बनने का रूस के गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तीन साल से भी अधिक के अंतर से तोड़ दिया । गुकेश नें आखिरी मैच में कभी कभी खेल को ना रोकने की अपनी इच्छाशक्ति के दम पर जीत हासिल की , डिंग की रक्षात्मक खेल कर टाईब्रेक पर जाने की सोच नें उन्हे अंत में गलती करने पर जैसे मजबूर कर दिया । मैच एक बाद गुकेश नें डिंग की तारीफ करते हुए उन्हे एक योद्धा बताया और दुनिया को यह भी एक संदेश दे दिया की वह सिर्फ एक शानदार शतरंज खिलाड़ी , विश्व चैम्पियन ही नहीं बल्कि एक शानदार इंसान भी है जो अपने विरोधी का भी सम्मान करते है । अब से थोड़ी देर पहले पुरूस्कार वितरण कार्यक्रम में गुकेश को फीडे प्रेसिडेंट अरकादी द्वारकोविच नें विश्व खिताब की ट्रॉफी सौंपी ! पढे यह लेख । Photo: FIDE/En Chin An & Maria Emelianova
18 साल के गुकेश बने 18वें विश्व शतरंज चैम्पियन !
इतिहास बन चुका है , भारत के दोम्माराजू गुकेश नें विश्वनाथना आनंद के नक्शे कदम पर चलते हुए विश्व विजेता बनने का अपना बचपन का सपना पूरा कर लिया है। गुकेश नें अपना पुरुष्कार लेते हुए कहा की यह ट्रॉफी ही वह कारण है जिसने उन्हे हर सुबह उठाया और उन्हे हर छोटे से छोटा प्रयास करने के लिए प्रेरित किया । गुकेश नें पूर्व विश्व चैम्पियन डिंग लीरेन को एक सच्चा योद्धा बताया तो अपने माता पिता के योगदान को अमूल्य बताते हुए कहा की यह उपलब्धि मुझ से ज्यादा उनकी है , गुकेश नें अपने सभी कोचो का धन्यवाद किया तो अपनी वर्तमान टीम को खूब सराहा , उन्होने कहा की यह सब कुछ सपने जैसा है और उन्हे लगता है आज भी मैगनस कार्लसन शतरंज की ऊंचाई पर है और यह बात उन्हे आगे बढ्ने के लिए प्रेरित करती रहेगी ।
क्या हुआ आखिरी राउंड में
भारत के वर्षीय डी गुकेश नें विश्व शतरंज चैंपियनशिप के अंतिम क्लासिकल मुक़ाबले में अपने खिताब को बचाने उतरे चीन के विश्व चैम्पियन डिंग लीरेन को मात देते हुए विश्व खिताब हासिल कर लिया है । गुकेश शतरंज इतिहास में विश्व चैम्पियन बनने वाले सबसे - उम्र के विश्व चैम्पियन बन गए है । अंतिम मुक़ाबले को जीतकर गुकेश नें 7.5 – 6.5 से विश्व खिताब अपने नाम कर लिया है । गुकेश नें
काले मोहरो से खेलते हुए गुर्न्फ़ील्ड डिफेंस में पहले बराबरी हासिल की है और फिर एक प्यादे की बढ़त हासिल करते हुए डिंग पर दबाव बनाना शुरू कर दिया । डिंग की मैच को ड्रॉ करने की मानसिकता नें उन्हे नुकसान पहुंचा दिया और कभी ड्रॉ नहीं मानने वाले गुकेश नें अंततः उन्हे जीत दिलाई ।
खेल की 54वीं चाल में जैसे ही डिंग नें अपना हाथी लड़ने के लिए सामने रखा दूसरे ही क्षण गुकेश को यह एहसास हो गया की वह जीत रहे और डिंग नें भारी भूल कर दी है ।
गुकेश नें हाथी से हाथी और फिर ऊंट से ऊंट मारकर और राजा को आगे चलकर अपनी जीत तय कर दी ।
जैसे ही डिंग नें हार स्वीकार की गुकेश बहुत भावुक हो गए और अपने मोहोरे वापस जमाते हुए लगातार रोये जा रहे थे ।
उसके बाद उन्होने प्रेस वार्ता में कहा की वह डिंग का बहुत सम्मान करते है और वह मेरे लिए एक योद्धा है और हमेशा रहंगे !
फोटो गैलरी - पुरूस्कार वितरण
नए विश्व चैम्पियन का आगमन
ये लम्हा आपका है गुकेश
अपने मेंटल कोच पेड़ी अप्टन के साथ गुकेश
अपने मुख्य कोच गाएस्की के साथ गुकेश
फीडे प्रेसिडेंट से विश्व खिताब की ट्रॉफी लेते हुए
अपने माता पिता के साथ गुकेश
फोटो शूट के दौरान गुकेश