मीर सुल्तान खान - भारत का पहला शतरंज स्टार
विश्व शतरंज में जब भी हम भारत के खिलाड़ियों की बात करते है तो सबसे पहले विश्वनाथन आनंद का नाम आता है और इतिहास में जाकर झाँकने पर मेनुयल अरोन का नाम भी उभर कर सामने आता है पर क्या आप जानते है आजादी के पहले ही एक भारतीय सितारा ऐसा था जिसने 1928 - 1933 के दौर में भारत का नाम दुनिया भर में गौरान्वित किया था ,नाम था मीर सुल्तान खान जिन्होने उस दौर में कापाब्लांका और टार्टकोवर जैसे बड़े नामों को पराजित किया तो अलखाइन जैसे खिलाड़ियों से ड्रॉ खेला । खैर उनकी आज बात करने का उद्देश्य यह है की इंग्लिश ग्रांड मास्टर डेनियल किंग नें सुल्तान खान के उपर 7 वर्षो के शोध के बाद एक किताब लिखी है जो जल्द ही आप भी पढ़ सकेंगे । पढे यह लेख ।
अगर आप सोचते है की विश्वनाथन आनंद ही पहले ऐसे खिलाड़ी थे जिंका डंका पूरी दुनिया मे बजा या यूं कहे की जिन्होने विश्व चैम्पियन बनने का दमखम दिखाया तो आप गलत है दरअसल इतिहास मे दर्ज एक ऐसा नाम भी है जिसने उस दौर के विश्व चैम्पियन को भी पीछे छोड़कर अपना दबदबा बनाया था उनका नाम था मीर सुल्तान खान ,
1905 मे सयुंक्त पंजाब में जन्मे सुल्तान खान जिन्होने 1929 से 1933 के दौरान पूरी दुनिया को अपने खेल से अचंभे में डाल दिया था ।
दरअसल उमर हयात जो की एक समय ना सिर्फ अँग्रेजी हुकूमत में मेजर थे बल्कि पंजाब के एक बड़े हिस्से के जमीदार भी थे के यहाँ मीर सुल्तान खान एक नौकर की हैसियत से काम करते थे और उनके ही साथ उन्हे इंग्लैंड जाने का मौका मिला
रोचक बात यह ही मीर सुल्तान खान का शतरंज जीवन सिर्फ 5 वर्षो का रहा । 1929 ,1932 और 1933 तीन पर उन्होने उस समय क विश्व चैंपियनशिप माने जाने वाली ब्रिटिश चैंपियनशिप का खिताब जीतकर अपना जलवा दुनिया को दिखाया । और उस समय उन्हे विश्व के सबसे बेहतरीन 10 खिलाड़ियों में शामिल माना जाता था ।
उन्हे उस समय तक दुनिया का सबसे नैसर्गिक शतरंज खिलाड़ी भी माना गया । 1928 में मीर सुल्तान खान भारत के राष्ट्रीय चैम्पियन भी बने जब उन्होने 9 राउंड की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अपराजित रहते हुए 8 जीत ओर 1 ड्रॉ से 8.5 अंक बनाकर खिताब अपने नाम किया । इतना ही नहीं भारत से शतरंज ओलंपियाड खेलने वाले वह पहले खिलाड़ी बने और एंग्लैंड की ओर से उन्होने तीन शतरंज ओलंपियाड में प्रतिभागिता की ।
उस दौर में उन्होने विश्व चैम्पियन क्यूबा के जोस राउल कापाब्लांका को हराया तो रूस के अलेक्ज़ेंडर अलखाइन से ड्रॉ खेला । 1933 में उनका शतरंज जीवन अकस्मात खत्म हो गया जब वह अपने मालिक के साथ भारत लौट आए और एक प्रतिभा के खेल का अंत हो गया । वह अपने अंतिम दिनो में पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में रहे और 1966 में उनकी मृत्यु हो गयी
उनकी महानता को बताते हुए इंग्लैंड के दिग्गज ग्रांड मास्टर डेनियल किंग नें उनके उपर एक किताब को लिखा है जिसे भारत के 5 बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद नें अनुमोदित किया है । किताब की शीर्षक है सुल्तान खान एक भारतीय नौकर जो बना ब्रिटिश हुकूमत का चैम्पियन
तो उम्मीद है यह खिताब ना सिर्फ दुनिया भर के शतरंज प्रेमियों की सुल्तान खान के खेल से अवगत कराएगी बल्कि भारतीयों को भी रोमांचित करेगी
यह विडियो आपको सुल्तान खान के जीवन और खेल शैली से परिचित कराएगा ,और जुड़े हिन्दी चेसबेस इंडिया यूट्यूब चैनल से
साथ ही आपको यह बताते हुए हमें बेहद खुशी हो रही की हमारा हिन्दी चेसबेस इंडिया चैनल अब 14000 सब्सक्राइबर पर पहुँच गया है