भारत और रूस शतरंज ओलंपियाड सयुंक्त विजेता
भारतीय शतरंज टीम मे इतिहास का पहला स्वर्ण पदक हासिल कर लिया हालांकि ये वैसे नहीं आया जैसे हम चाहते थे , पर हाँ हमारी टीम इसकी पूरी हकदार थी बेस्ट ऑफ 2 रैपिड के फाइनल मे पहला मुक़ाबला जीत के करीब जाकर भी 3-3 से ड्रॉ होने के बाद दूसरे मुक़ाबले मे जब रोमांच अपने चरम पर पहुँच रहा था की तभी विश्व स्तरीय इंटरनेट समस्या के चलते भारत को उसके तीन मुकाबलों कोनेरु हम्पी ,निहाल सरीन और दिव्या देशमुख के बोर्ड पर अचानक इंटरनेट चले जाने का नुकसान उठाना पड़ा हम्पी का मैच तो दोबारा शुरू हो गया पर निहाल और दिव्या का समय समाप्त हो गया और ऐसे मे तकनीकी तौर पर रूस विजेता बनने की स्थिति मे था पर भारत की अपील पर जांच के बाद दूसरे पूरे मैच को फीडे नें रद्द घोषित करते हुए भारत और रूस को सयुंक्त विजेता घोषित कर दिया । पढे यह लेख
भारत और रूस बने शतरंज ओलंपियाड के सयुंक्त विजेता
भारतीय शतरंज जगत मे इतिहास रचा जा चुका है और भारतीय शतरंज टीम नें रूस के साथ मिलकर अपना पहला शतरंज ओलंपियाड जीत लिया । बेहद ही रोमांचक मैच मे भारत और रूस के बीच दो रैपिड मुकाबलों मे पहला मुक़ाबला 3-3 से ड्रॉ रहा और दूसरे मुक़ाबले मे जब भारत जीत की ओर बढ़ता नजर आ रहा था पर तभी अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट की समस्या के चलते भारतीय खिलाड़ियों के मुक़ाबले रुक गए और भारत नें इसके लिए अपील की और विश्व शतरंज संघ नें दूसरे मैच को रद्द घोषित कर दिया और भारत और रूस को सयुंक्त विजेता घोषित कर दिया गया ।
पहला मैच
पहले मैच मे भारत और रूस के बीच सभी मुक़ाबले ड्रॉ रहे हालांकि बोर्ड नंबर 3 पर भारत की वर्तमान विश्व रैपिड चैम्पियन कोनेरु हम्पी रूस की वर्तमान विश्व ब्लिट्ज़ चैम्पियन लागनों काटेरयना से जीत के काफी करीब थी पर अंत मे मुक़ाबला ड्रॉ रहा ।
कप्तान विदित गुजराती नें पहले बोर्ड पर रूस के इयान नेपोंनियची ,पेंटाला हरिकृष्णा नें आर्टेमिव ब्लादिस्लाव से ,हरिका द्रोणावल्ली नें अलेक्ज़ेंड्रा कोस्टेनियुक से ,प्रग्गानंधा नें आलेक्सी सरना से तो दिव्या देशमुख नें वर्तमान विश्व जूनियर चैम्पियन पोलिना शुवलोवा से ड्रॉ खेला ।
अब पूरा ध्यान दूसरे मैच मे था इस बार पहले बोर्ड पर काले मोहरो से विश्वनाथन आनंद नें इयान नेपोंनियची से मुक़ाबला खेला और आधा अंक हासिल कर लिया तो दूसरे बोर्ड पर विश्व रैपिड चैम्पियन रहे डेनियल डुबोव को कप्तान विदित गुजराती नें ड्रॉ खेलने पर मजबूर कर दिया पर तो हरिका द्रोणावल्ली नें अलेक्ज़ेंड्रा कोस्टेनियुक से ड्रॉ खेला
अब ऐसे मे बचे तीन मैच मे भारत 1 बोर्ड पर जीतता नजर आ रहा था जबकि दो मुक़ाबले बराबर थे तभी अचानक तीनों खिलाड़ियों के मैच इंटरनेट की समस्या के चलते रुक गए । तीसरे बोर्ड पर अलेक्ज़ेंड्रा गोरयाचकिना के खिलाफ कोनेरु हम्पी का मैच तकरीबन 1.5 मिनट रुक कर चालू हो गया पर
तब तक आन्द्रे एसीपेंकों के खिलाफ निहाल को तो
पोलिना शुवालोवा के खिलाफ दिव्या देशमुख को समय के चलते सर्वर नें हारा घोषित कर दिया । इसके बाद स्कोर कुछ समय के 3.5-1.5 हो गया और हम्पी इसके बाद अपना मुक़ाबला भी हार गयी इस प्रकार स्कोर 1.5-4.5 से रूस के पक्ष मे हो गया ।
भारत के उपकप्तान श्रीनाथ नें की अपील - भारतीय नॉन प्लेईंग कप्तान एन श्रीनाथ नें तुरंत विश्व शतरंज संघ को ग्लोबल इंटरनेट समस्या के चलते सर्वर खराब होने की अपील की और मैच को पुनः खेले जाने की उम्मीद बढ़ गयी लगभग एक घंटे चले मंथन के बाद दूसरे मैच को रद्द घोषित करते हुए भारत और रूस को सयुंक्त विजेता घोषित कर दिया ।
कैसा रहा भारत का सफर - भारत नें सबसे पहले लीग चरण मे शानदार खेल दिखाते हुए अपने सभी मैच जीतकर खासतौर पर अंतिम मैच ओलंपियाड चैम्पियन चीन से 4-2 से जीतकर सीधे क्वाटर फाइनल मे जगह बनाई ,उसके बाद क्वाटर फाइनल मे अर्मेनिया को 3.5-2.5 से मात देते हुए सेमी फाइनल मे जगह बनाई । सेमी फाइनल मे पोलैंड को टाईब्रेक मे कोनेरु हम्पी की मदद से जीतकर भारत फाइनल मे पहुंचा ।
अनुभव ,युवा जोश और बाल ऊर्जा नें बनाया भारत को विजेता !
31 जुलाई से जब शतरंज ओलंपियाड का आगाज हुआ तब से टूर्नामेंट के खास फॉर्मेट की वजह से भारतीय टीम को इसका विजेता बनने के लिए बड़े दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था कारण था टीम मे छह मुख्य खिलाड़ियों मे दो सीनियर पुरुष खिलाड़ी ,दो सीनियर महिला खिलाड़ी तो दो जूनियर ( एक बालक एक बालिका ) का शामिल करना अनिवार्य नियम था ! साथ ही अतिरिक्त खिलाड़ियों के तौर पर छह खिलाड़ी और रखने का प्रावधान था !
विश्वनाथन आनंद - सबसे अनुभवी खिलाड़ी पाँच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद का टीम मे आने से टीम को जैसे एक प्रेरणा मिली पूरे टूर्नामेंट मे आनंद नें युवाओं को ज्यादा खेलने का मौका दिया और महत्वपूर्ण मुकाबलों मे टीम को पहले बोर्ड पर मजबूत परिणाम दिये खास तौर पर क्वाटर फाइनल मे अरोनियन से ड्रॉ ,सेमी फाइनल मे पोलैंड के खिलाफ बड़ी जीत तो फाइनल मे इयान नेपोंनियची से ड्रॉ खेला और कुल मिलाकर पूरे टूर्नामेंट मे वह भारत के लिए एक मजबूत खिलाड़ी की तरह पहले बोर्ड पर डटे रहे ।
विदित गुजराती - को कप्तान बनाने का निर्णय सबसे अच्छा निर्णय साबित हुआ 25 वर्षीय इस युवा खिलाड़ी नें हमेशा शानदार कप्तानी की और उनके टीम मे बदलाव हर बार सही साबित हुए खुद टीम की जरूरत के अनुसार पहले से दूसरे बोर्ड पर खेले तो कई बार बाहर भी बैठे विश्व के दिग्गज खिलाडी डिंग लीरेन ,डेनियल डुबोव और इयान नेपोंनियची भी उनके सामने जीत नहीं दर्ज कर सके । पोलैंड के खिलाफ पहला राउंड हारने के बाद दूसरे राउंड मे उन्होने ही टीम को सबसे पहले जीत देकर माहौल बदल दिया ।
भारत के नंबर 2 खिलाड़ी पेंटाला हरिकृष्णा नें भी टीम को जरूरत के वक्त हर बार अंक बना कर दिया । उनकी एंडगेम की महारत से ही भारत का क्वाटर फाइनल तक का सफर आसानी से तय हुआ । फाइनल मुक़ाबले मे उन्होने रूस के दिग्गज खिलाड़ी अर्टेमिव ब्लादिलसाव को बेहतरीन ड्रॉ पर रोका ।
महिला वर्ग मे भारत की विश्व रैपिड चैम्पियन कोनेरु हम्पी नें असाधारण खेल दिखाया और हर बार बड़े मुक़ाबले टीम के लिए जीते हम्पी नें भारत को सेमी फाइनल के टाईब्रेक मे पोलैंड की मोनिका सोचको के खिलाफ यादगार जीत दिलाकर भारत को फाइनल मे पहुंचाने मे बड़ी भूमिका निभाई । हरिका द्रोणावल्ली का भी टीम को भरपूर साथ मिला और तो हरिका नें हर बड़े मुक़ाबले मे अपना अंक नहीं जाने दिया और मजबूती से आधा अंक दिलाया । फाइनल मे भी दोनों बार उन्होने पूर्व विश्व चैम्पियन अलेक्ज़ेंड्रा कोस्टेनियुक को आसानी से आधा अंक बांटने पर मजबूर कर दिया ।
भारतीय टीम की अन्य दो महिला खिलाड़ी भक्ति कुलकर्णी नें ग्रुप चरण मे तीन मे से तीन तो आर वैशाली नें 2 मे से एक अंक बनाया ।
जूनियर वर्ग मे दुनिया के सबसे युवा ग्रांड मास्टर निहाल सरीन और प्रग्गानंधा की जोड़ी तो
बालिका में दिव्या देशमुख और वन्तिका अग्रवाल की जोड़ी सबसे खास रही और चीन के खिलाफ से लेकर रूस तक उन्होने महत्वपूर्ण समय मे टीम को जीत दिलाई । बड़ी बात यह रही की 19 वर्ष तक के आयु वर्ग मे भारत की इस जूनियर जोड़ी की औसत उम्र 15 वर्ष ही है । और इसे ही पूरे टूर्नामेंट में भारत का प्लस पॉइंट माना गया ।
हिन्दी चेसबेस इंडिया यूट्यूब चैनल पर आज भी पूरे मुक़ाबले का लाइव विश्लेषण किया गया